उम्र अभी वो नहीं कि सब हमे बाबा कहें
तुम यूँ अलग हुए कि नूर ही चला गया
अब किस किस को सुनाएँ अपनी व्यथा
वो जो भीतर था बाहर क्यों चला गया
अपने हक़ का लगता है ज्यादा मसला
दबाव कुछ ज्यादा था वो कुचल गया
हमने तो सोचा था पूरा हक़ है उनपर
रबर को इतना खींचा, टूटता चला गया
तुम यूँ अलग हुए कि नूर ही चला गया
अब किस किस को सुनाएँ अपनी व्यथा
वो जो भीतर था बाहर क्यों चला गया
अपने हक़ का लगता है ज्यादा मसला
दबाव कुछ ज्यादा था वो कुचल गया
हमने तो सोचा था पूरा हक़ है उनपर
रबर को इतना खींचा, टूटता चला गया
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