शुक्रवार, 26 अगस्त 2016

कुछ अलग

हर सितम सर झुकाया रिश्ते की नाजुकता जानकर
मौन हम, नीची औकात कहा उसने भौं तानकर

मेरे अंगना तूफ़ान आया और सब उजड़ गया
बचा वही जो उस पल झुका और संवर गया

कौन कौन कितने थे वो यह तो हमको याद नहीं
आज खो कर पाया हमने कोई उनके बाद नहीं

हमने बिस्तर बाँध लिया, कब सफ़र शुरू हो पता नहीं,

दुनिया ढूढेगी हमें यहाँ वहाँ, पर हम मिलेंगे अब वहीँ


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