मंगलवार, 24 जुलाई 2012

छदम आहट

एक  सफर पर निकला था
एकांकी मन सम्भला था
तभी  तुम्हारी छदम आहट
मुझको मुझसे हिला गई

मंजिल न थी दूर कभी
बस कुछ कदम दूर थमी
पाने को था कदम बढाया
भटका फूल खिला गई

निश्चय अपना लक्ष्य था
पाना ही एक सत्य था
पर तुम एक ठोकर बनकर
लहू में पाँव सना गई

पूजा तुमको देवों संग
खुशियाँ बाँट हुए नंग
पर तुम जानकर जाते हुए
क्यूँ दुखती रग ही दबा गई

माँगा न था पूजा था
न तेरे सा कोई दूजा था
राजा थे अपनी चाह्त के
पर तुम भिखारी बना गई

चलो अब न कोई सपना है
न तुम सा कोई अपना है
एक बार फिर कमर कसी है
मंजिल को जो तुम भटका गई 

मंगलवार, 17 जुलाई 2012

नई किरण की दस्तक

आज सुबह जब आँख खुली
एक नई  किरण ने दस्तक दी

उसकी चमक में आँख मली
बीता हुआ था सब रीत गया
सपने जो हकीकत थे समझे
मन पल में ही सब जीत गया

अब बीते का अफ़सोस नही
मन में सपनों का बोझ नही
नई किरण संग नया सवेरा
जो चला गया वो ना था मेरा

अब उठ खड़ा हो मन मेरे
पोंछ लकीरें अब मस्तक की
नई राह अब देख दिखे तेरी
उस नई किरण ने दस्तक दी 

सोमवार, 9 जुलाई 2012

प्रेम में न जिए

कैसे तबाह करके मुझे तुम चले गये
एक झलक दिखला के दीवाना सा कर गये
आज़ाद था घूमता दिल की लगी से दूर
दिल को क्यों लगा कर दिल्लगी सी कर गए
जग में कोई जिये तो जीने उसे तुम दो
दिल को न वो जानता दीवाना न तुम कहो
मोहब्बत की उस गली से उसे वास्ता नही
हुस्न की झलक से क्यों मदहोश तुम करो
राजीव देख जग को अब कुछ इस तरह कहे
करुणा का रस जो पिये वो प्रेम में न जिए   

रविवार, 1 जुलाई 2012

बदल समय संग

बदलता समय बदलते लोग
न जो बदले कष्ट रहे भोग
आज जो अपने कलके सपने
दिल के वो सब बनेंगे रोग
सीढ़ी बनायेंगे सब चढ़ने को
चढ़ते ही तुझे भुलायेंगे लोग
दोष न उनका होगा प्यारे
समय  संग बदले सब लोग
तेरी करनी तुझे  ही  भरनी
आँख मूंद क्यूँ रहा था सोच
आज जो पाया क्यूँ पछताया
बदल समय संग जैसे लोग