सोमवार, 28 मार्च 2011

नैन

नैनो से लड़े जब नैन
ना सुख पाया ना चैन
पथराये से खोये खोये
कुछ ढूंढ़ रहे सब रैन

नैनो के द्वारे कसक
मन में उठती है टीस
प्रेम की सुनती धमक 
अंगो में चलती चीस
बेदर्दी दर्द को बढ़ाकर
हरने लगते सुख चैन  

लाज आती ज्यूँ मिलते
नहीं मिलते तो मचलते
तुमको न कहीं खो जाएँ
पग संभल संभल चलते
नहीं सोते नहीं जग पाते
बावरे हुए फिरतें ये नैन 

सावन के अंधे  हो गए
तुम्हारे रूप संग खो गए
जादू कर चुरा के जीवन
हम सम्मोहन में सो गए
नहीं चाहें टूटे अब नींद
तुम्हे कैद कर गये नैन

नैनो से लड़े जब नैन
ना सुख पाया ना चैन
 

रविवार, 27 मार्च 2011

खाज खुजा सूजन दबा

अजब गजब से विचार जब आते  हैं मगज
शरीर की सारी इन्द्रियां हो जाती हैं सजग
गर्मी का मौसम,  भारी शरीर,  गिरे धड़ाम
चोट न थी पर दर्द की खुलने लगी दुकान
लंगड़ाते से चल पड़े लेने दवाई उस दर्द की
तभी हमे सलाह मिली भिखारी हमदर्द की            
बाबु मामूली दर्दों से क्यों घबराते हो तुम
डॉक्टर की तुम फीस से हो जाओगे सुन्न
खाज, घमोरी, सूजन, खुरंड न करते ये तंग
ये तो अपने साथी हैं तुम खेलों इनके संग
खाज खुजाओ, सूजन दबाओ, पाओगे आनंद  
डॉक्टर छोड़, देखो अपने हाथ है परमानन्द 
ज्यों बढ़ेगी खाज तेरा हाथ नहीं हट पायेगा
सूजन को दबाता रह सूजा  ही मिट जायेगा  

सारांश

मानव जीवन का सारांश 
मनुष्यता पूर्ण वृतान्त 
क्रोध, लोभ, घृणा राजसी    
क्षमा, सहन संत अन्तरांत      
भोग भोगना नही जीवन
त्याग से होता जीव शांत
नफरत का ना बीज उपजे   
प्रेम देवताओं सा देवांश    

 

गुरुवार, 24 मार्च 2011

प्रेम

प्रेम प्रेम तो सब कहें, प्रेमार्थ न जाने कोई|
जो प्रेमार्थ जान लो, प्रेम सा दुःख न कोई || 

दुःख का अंत प्रेम है
प्रेम का आदि दुःख|
जो प्रेमार्थ का ज्ञान है
प्रेम में छिपे सब सुख||