रविवार, 20 जून 2010

कहानी शरीर की

आत्मा के अमर होते ही
भस्म हो गया शरीर
संग पानी के डोलता फिरा
चंचल मानव शरीर

लिया इस जल को खींच
जड़ों ने, वृक्षों पौधों के
बदली भस्म पुष्पों फलों
वनस्पतिओं में

भोजन स्वरुप वनस्पति को
किया ग्रहण दम्पति ने
यज्ञ किये शरीर में
आत्माओं ने

बदल रूप आई भस्म
रक्त मांस के लघु कणों में
जुड़े वो कण बिंदु
गर्भ के क्षीर सागर में

पुन रूप बदल आई भस्मी
लिए एक बालक का जीवन

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